दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है । इन दिनों माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है । त्योहार का अंतिम दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है । असत्य पर सत्य की जीत इस त्योहार का मुख्य संदेश है ।
माँ दुर्गा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं । जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है, इसलिए भक्तगण माँ दुर्गा से शक्ति की याचना करते हैं । पं.बंगाल, बिहार, झारखंड आदि प्रांतों में महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है । नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ चलता रहता है । शंख, घड़ियाल और नगाड़े बजते हैं । पूजा-स्थलों में धूम मची रहती है । तोरणद्वार सजाए जाते हैं । नवरात्र में व्रत एवं उपवास रखे जाते हैं । मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है । प्रसाद बाँटने और लंगर चलाने के कार्यक्रम होते हैं ।
उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में रामलीला का मंचन होता है । कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका नरेश अहंकारी रावण का वध किया था । रावण अत्याचारी और घमंडी राजा था । उसने राम की पत्नी सीता का छल से अपहरण कर लिया था । सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राम ने वानरराज सुग्रीव से मैत्री की । वे वानरी सेना के साथ समुद्र पार करके लंका गए और रावण पर चढाई कर दी । भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में मेघनाद, कुंभकर्ण, रावण आदि सभी वीर योद्धा मारे गए । राम ने अपने शरण आए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया और पत्नी सीता को लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया । रामलीला में इन घटनाओं का विस्तृत दृश्य दिखाया जाता है । इसके द्वारा श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप उजागर होता है ।
रामलीलाओं के साथ-साथ अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । स्थान-स्थान पर मेलों का आयोजन किया जाता है । बच्चे मेले में उत्साह के साथ भाग लेते हैं । वे झूला झूलते हैं और खेल-तमाशे देखते हैं । हर तरफ उत्साह और उमंग मचा रहता है । विजयादशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन का कार्यक्रम होता है । इसमें हजारों लोग भाग लेते हैं । पुतले जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दोहराते हैं । इस अवसर पर आकर्षक आतिशबाजी भी होती है । फिर लोग मिठाइयाँ खाते और बाँटते हैं ।
विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन का कार्यक्रम होता है । ट्रकों और ट्रॉलियों पर प्रतिमाएँ लाद कर लोग गाजे-बाजे के साथ चलते हैं । लोग भारी संख्या में इस जलूस में शामिल होते हैं । प्रतिमाएं विभिन्न मार्गों से होते हुए किसी नदी या सरोवर के तट पर ले जायी जाती हैं । वहाँ इनका विसर्जन कर दिया जाता है । इस तरह दस दिनों तक चलनेवाला उत्सव समाप्त हो जाता है ।
दशहरा भक्ति और समर्पण का त्योहार है । भक्त भक्ति- भाव से दुर्गा माता की आराधना करते हैं । नवरात्र में दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा होती है । दुर्गा ही आवश्यकता के अनुसार काली, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी ,कुष्मांडा आदि विभिन्न रूप धारण करती हैं और आसुरी शक्तियों का संहार करती हैं । वे आदि शक्ति हैं । वे ही शिव पत्नी पार्वती हैं । संसार उन्हें पूजकर अपने अंदर की आसुरी शक्ति को नष्ट होने की आकांक्षा रखता है । दुर्गा रूप जय यश देती हैं तथा द्वेष समाप्त करती हैं । वे मनुष्य को धन- धान्य से संपन्न कर देती हैं ।
भारत में हिमाचल प्रदेश में कुच्छू घाटी का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है । यहाँ का दशहरा देखने देश-विदेश के लोग आते हैं । यहाँ श्रद्धा, भक्ति और उल्लास की त्रिवेणी देखने को मिलती है ।
इस तरह दशहरा हर वर्ष आता है और लोगों में भक्तिभाव भर जाता है । पर्व-त्योहारों के माध्यम से लोग अपनी ऊब मिटाते हैं और अपने भीतर कार्य करने का नया उत्साह उत्पन्न करते हैं ।
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